http://jaidevmahadev.wordpress.com/contact-us/
जय जयति जगदाधार जगपति जय महेश नमामिते |
वाहन वृषभ वर सिद्धि दायक विश्वनाथ उमापते |
सिर गंग भव्य भुजंग भूसन भस्म अंग सुसोभिते |
सुर जपति शिव, शशि धर कपाली, भूत पति शरणागते |
जय जयति गौरीनाथ जय काशीश जय कामेश्वरम |
कैलाशपति, जोगीश, जय भोगीश, वपु गोपेश्वरम |
जय नील लोहित गरल-गर-हर-हर विभो विश्वंभरम |
रस रास रति रमणीय रंजित नवल नृत्यति नटवरम |
तत्तत्त ताता ता तताता थे इ तत्ता ताण्डवम |
कर बजत डमरू डिमक-डिम-डिम गूंज मृदु गुंजित भवम |
बम-बम बदत वेताल भूत पिशाच भूधर भैरवम |
जय जयति खेचर यक्ष किन्नर नित्य नव गुण गौरवम |
जय प्रणति जन पूरण मनोरथ करत मन महि रंजने |
अघ मूरि हारी धूरि जटि तुम त्रिपुर अरि-दल गंजने |
जय शूल पाणि पिनाक धर कंदर्प दर्प विमोचने |
'प्रीतम' परसि पद होइ पावन हरहु कष्ट त्रिलोचने |
No comments:
Post a Comment