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| जय जयति जगदाधार जगपति जय महेश नमामिते |
| वाहन वृषभ वर सिद्धि दायक विश्वनाथ उमापते |
| सिर गंग भव्य भुजंग भूसन भस्म अंग सुसोभिते |
| सुर जपति शिव, शशि धर कपाली, भूत पति शरणागते |
| जय जयति गौरीनाथ जय काशीश जय कामेश्वरम |
| कैलाशपति, जोगीश, जय भोगीश, वपु गोपेश्वरम |
| जय नील लोहित गरल-गर-हर-हर विभो विश्वंभरम |
| रस रास रति रमणीय रंजित नवल नृत्यति नटवरम |
| तत्तत्त ताता ता तताता थे इ तत्ता ताण्डवम |
| कर बजत डमरू डिमक-डिम-डिम गूंज मृदु गुंजित भवम |
| बम-बम बदत वेताल भूत पिशाच भूधर भैरवम |
| जय जयति खेचर यक्ष किन्नर नित्य नव गुण गौरवम |
| जय प्रणति जन पूरण मनोरथ करत मन महि रंजने |
| अघ मूरि हारी धूरि जटि तुम त्रिपुर अरि-दल गंजने |
| जय शूल पाणि पिनाक धर कंदर्प दर्प विमोचने |
| 'प्रीतम' परसि पद होइ पावन हरहु कष्ट त्रिलोचने |

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