Tuesday 1 July 2014

करो कृपा हमपे भारी


ll जय जय भोले भंडारी 
करो कृपा हमपे भारी
तुम हो दया के भंडारी 
करो कृपा हमपे भारी
जय जय भोले भंडारी ll

ll तुम हो दया और शक्ति शाली
करो कृपा हमपे भारी
जय जय भोले भंडारी 
तुम भोले और  महाकाली 
जय जय भोले भंडारी
करो कृपा हमपे भlरी  ll

ll तुम भोले नन्द बाबा की सवारी 
तुम हो महाकाल जटा धारी 
करो कृपा हमपे भारी
जय जय भोले भंडारी
तुम भोले जय माँ शेरा वाली 
करो कृपा हमपे भारी
जय जय भोले भंडारी ll

IIतुम हो देवो के देव महादेव 
दुष्टो के वध कारी 
गले मै नाग देवता सर  पर चाँद 
जटा गंगा धIरी 
जय जय भोले भंडारी
करो कृपा हमपे भारी  ll

ll तुम धरती,तुम आसमा 
तुम वायु , तुम पानी 
करो कृपा हमपे भारी
जय जय भोले भंडारी ll

ll आपका छोटा भक्त चन्दन झा ll

Saturday 28 June 2014

आओ गुण गाये महाकाल की

llतू ही तो है जग का दाता
तू ही तो है जग का विधाता ll

llतेरे ही तो है महिमा अकरम पार
और तूने ही तो है सम्हाला ll

llइस जग को ए मेरे विधाता
llबोलो जय महाकाल ll


ll  तेरी ही तो है महिमा सlरे संसार मै
और तूने ही तो है बिगड़ी बनाई अपने भकतो की 
ll जैजै महाकाल ll

ll तू ही तो है वो दाता जिसका है रूप बलबान ll
तू ही तो है वो दाता जिसका है रूप बलबान

ll और जिस जिस ने की है पूजा तेरी वो है धनमान ll
और जिस जिस ने की है पूजा तेरी वो है धनमान


ll क्योकि उनकी जुवा पर है तेरा नाम ll
क्योकि उनकी जुवा पर है तेरा नाम

ll इस लिए दुखो मै लेते है तेरा नाम ll
इस लिए दुखो मै लेते है तेरा नाम 

ll अनेक है तेरे रूप ए महाकाल ll
अनेक है तेरे रूप ए महाकाल 

ll जब आये कोई विपत्ति तेरे भकतो पर ll
जब आये कोई विपत्ति तेरे भकतो पर 

ll कर तांडव तू दुस्टो का संगहार  ll
कर तांडव तू दुस्टो का संगहार 

ll और बनी रहे तेरी कृपा ll
और बनी रहे तेरी कृपा 


ll और भकतो का बेड़ा पार ll
जय महाकाल ll
 ll आपका छोटा भक्त चन्दन झा  ll

Saturday 21 June 2014

जय जय शिव शंकर महेश्वरम

http://jaidevmahadev.wordpress.com/
जय जय शिव शंकर महेश्वरम
जय शम्भू दिगम्वर भूतेश्वरम,

पशुपति त्रिपूरारी गंगाधाम
त्रियम्बकम उमा प्रानेश्वरम,

जय जय शिव शंकर महेश्वरम
जय शम्भू दिगम्वर भूतेश्वरम,

ऊँ नमः शिवायः ऊँ नमः शिवायः
ऊँ नमः शिवायः ऊँ नमः शिवायः

जय जय शिव शंकर महेश्वरम
जय शम्भू दिगम्वर भूतेश्वरम,

शशि शेखरम मुंड मालेश्वरम
कैलाश विहारी कपालेश्वरम,

नीलकंठ कन्डर्प लोकेश्वरम
आशुतोशम प्रभु बाल चन्द्रम धर्म,

ऊँ नमः शिवायः

माथे का टीका इसके मन न भाये,

http://jaidevmahadev.wordpress.com/कैसे भोले बाबा को मनाऊँ मैं, भोला माने ना माने

माथे का टीका इसके मन न भाये,
कोई भी टीका मेरे शंकर को ना भाये
चाँद कहाँ से लाऊँ मैं, भोला माने ना माने ।।

फूलों की माला इसके मनको ना भाये,
कोई भी माला मेरे शंकर को ना भाये,
नाग कहाँ से लाऊँ मै, भोला माने ना माने ।।

कोई भी साज उसके मन को ना भाये,
कोई भी साज मेरे शंकर को ना भाये,
डमरु कहाँ से लाऊँ मै, भोला माने ना माने ।।

कोई सवारी इसके मन को ना भाये,
कोई सवारी मेरे शंकर को ना भाये,
भेल कहाँ से लाऊँ मैं, भोला माने ना माने ।।

कोई भी पान उसके मन को ना भाये,
कोई भी पान मेरे शंकर को ना भाये,
भागं कहाँ से लाऊँ मै, भोला माने ना माने ।।

कोई भी शस्त्र उसके मन को ना भाये,
कोई भी शस्त्र मेरे शंकर को ना भाये,
त्रिशूल कहाँ से लाऊँ मैं, भोला माने ना माने ।।

कोई भी वस्त्र उसके मन को ना भाये,
कोई भी वस्त्र मेरे शंकर को ना भाये,
मृगशाला कहाँ से लाऊँ मै, भोला माने ना माने ।।

आरती श्री बद्रीनाथ जी की

http://jaidevmahadev.wordpress.com/जय जय श्री बद्रीनाथ,

जयति योग ध्यानी || टेक ||

निर्गुण सगुण स्वरूप, मेधवर्ण अति अनूप |
सेवत चरण स्वरूप, ज्ञानी विज्ञानी | जय...

झलकत है शीश छत्र, छवि अनूप अति विचित्र |
बरनत पावन चरित्र, स्कुचत बरबानी | जय...

तिलक भाल अति विशाल,
गल में मणि मुक्त-माल |

प्रनत पल अति दयाल,
सेवक सुखदानी | जय....

कानन कुण्डल ललाम,
मूरति सुखमा की धाम |

सुमिरत हों सिद्धि काम,
कहत गुण बखानी | जय...

गावत गुण शंभु शेष,
इन्द्र चन्द्र अरु दिनेश |

विनवत श्यामा हमेश,
जोरी जुगल पानी | जय...

जय केदार उदार शंकर,

http://jaidevmahadev.wordpress.com/जय केदार उदार शंकर,
मन भयंकर दुःख हरम |

गौरी गणपति स्कन्द नन्दी,
श्री केदार नमाम्यहम् |

शैल सुन्दर अति हिमालय,
शुभ मन्दिर सुन्दरम |

निकट मन्दाकिनी सरस्वती,
जय केदार नमाम्यहम |

उदक कुण्ड है अधम पावन,
रेतस कुण्ड मनोहरम |

हंस कुण्ड समीप सुन्दर,
जय केदार नमाम्यहम |

अन्नपूरणा सह अर्पणा,
काल भैरव शोभितम |

पंच पाण्डव द्रोपदी सह,
जय केदार नमाम्यहम |

शिव दिगम्बर भस्मधारी,
अर्द्ध चन्द्र विभूषितम |

शीश गंगा कण्ठ फिणिपति,
जय केदार नमाम्यहम |

कर त्रिशूल विशाल डमरू,
ज्ञान गान विशारदम |

मझहेश्वर तुंग ईश्वर,
रुद कल्प महेश्वरम |

पंच धन्य विशाल आलय,
जय केदार नमाम्यहम |

नाथ पावन हे विशालम |
पुण्यप्रद हर दर्शनम |

जय केदार उदार शंकर,
पाप ताप नमाम्यहम ||

डम डम डम डम डमरू बाजे

http://jaidevmahadev.wordpress.com/डम डम डम डम डमरू बाजे
नंदीगन खड़े है जोड़े हाथ
भंग का रंग जमाए शंकर
विष्णु करे नृत्य देवन साथ

बम बम लहरी बम भोलेनाथ
बम बम लहरी बम भोले नाथ

गोरी का भी रूप खिल गया
तारो से सजी है रात
धरती पर भी धूम मची
शिव शक्ति का मिलन है आज

बम बम लहरी बम भोलेनाथ
बम बम लहरी बम भोले नाथ

रूप अनोखा अद्भूत ऐसा
नागो को लिये है साध
अंग भभूती, भाल चन्द्रमा
डमरू त्रिशूल, धरे दोउ हाथ

बम बम लहरी बम भोलेनाथ

Main Murakh Tu Antaryami

http://jaidevmahadev.wordpress.com/O Shankar Mere Kab Honge Darshan Tere - 4
Jeevan Path Par Shaam-Savere, Chaye Hai Ghanghor Andhere

O Shankar Mere Kab Honge Darshan Tere - 2

Main Murakh Tu Antaryami
Main Sevak Tu Mera Swami
Kahe Mujhse Naata Tooda
Mann Choda
Mandir Bhi Choda
Kitni Durrrrrrrrr Lagaye Tune Laake Laash Pe Daire

O Shankar Mere Kab Honge Darshan Tere

Tere Dwar Pe Jyot Jaga Kar
Nis Din Bite Tere Gun Gaate
Na Maangu Mein Heere Moti
Mangu Par Thodi Si Jyoti
Khali Haath Na Jayunga Main
Daata Dwar Se Tere

O Shankar Mere Kab Honge Darshan Tere

Kab Honge Darshan Tere

haath jodd ke boli kawarja,

http://jaidevmahadev.wordpress.com/haath jodd ke boli kawarja,
haath jodd ke boli kawarja,
teeno lok basaye basti mein,
teeno lok basaye basti mein,
aap basein veerane mein ji,
aafatein veerane mein,
aji ram bhajo ji, ram bhajo ji,
ram bhajo ji, ram bhajo ji,
shiv ka vandan kiya karo,
aji shiv ka vandan kiya karo ji,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehriii!

meri ek suno antaryami,
meri ek suno bholeswami,
mai to dasi janam-janam ki,
mai to dasi janam-janam ki,
bali umar se bhakti karti,
bali umar se bhakti karti,
tumhe chodke kahi na jaoo,
tumhe chodke kahi na jaoo,
raat-diwas tere charan dabau,
raat-diwas tere charan dabau,
tumhe jo choddu to mar jaoo,
tumhe jo choddu to mar jaoo,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehriii!

ek suno na mere bholenathji,
ek suno na mere dinanathji,
din bhar main teri bhung ragdungi,
din bhar main teri bhung ragdungi,
bhung ragdu, tera ragdu dhatura,
bhung ragdu, tera ragdu dhatura,
taj karungi tera pura,
hukam bajaoo tera pura,
tujhe pilaoo tiragnatiya,
tujhe pilaoo tiragnati,
aur jo bach jave main pilungi,
jo bach jave main pilungi,
amrit jaan samajh pilungi,
amrit jaan samajh pilungi,
sharan mein le lo bholenath,
mohe apni bana lo dinanathji,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehriii!

ek suno ji parvati,
meri ek suno gora-rani,
iss jungle mein tu kya pavegi,
kanjdi ban-ban mar javegi,
hathi, chitaude, sher dahaude,
hathi, chitaude, sher dahaude,
asam ramau, dhuni ramau,
tandav kar-kar damru bajau,
gufa-bich mera hai derari,
abhi samajh ja hey gorari,
abhi maan ja hey gora,
mere bhoot ki mala gale pad,
meri khakkad mala gale padi,
unko dekh iss darr javegi,
mere sang tu kya pave,
koi acha kuwar raja ko dhundh,
koi roop kuwar raja ko dhundh,
tu rani banke baith mahal,
tu rani banke baith mahal,
ari samajh ja hey gorari,
maha maan jaa hey gorari.
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehri,
bagad bam, babam bam babam bam bamlehriii!

Hari Om Shiva Hara Shankara Gaurisham‌,

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Hari Om Shiva Hara Shankara Gaurisham‌,
Vande Ganga Dhara Misham Shiva, Rudram Pashupati Mishanam
Kalve Kashi Pura Natham Bhajo Bhala Lochna Parmananda 
Shree Neelkantha Tavm Sharnam,
Shiv Asura Nikandana Bhave Dukh Bhanjana
Sevak Ke Partipala Bam Avagamana Mithao Bole Shankara Bhaje Shiva Barambaara,
Bam Jai Shiv Shambhu Sada Shiv Shambhu Hari Hara Sada Sada Shiv Shambhu.


To Shiv Shankar, the Swami of Gauri, we bow to him who has the Ganga in his dreadlocks. To Rudra Pashupati, the Swami of all beings, to the God of Kashi, Banaras, has the three eyes, and is always in bliss. The God with the blue hroat, we bow to his feet. 
To you the slayer of all the demons, putting an end to all the sufferings.
you are the protector of your devotees. Please finish the circle of birth and rebirth. Always sing and praise his name, Shiv Hare Shambhu.

OM NAMAH SHIVAYA

गंगा जटाधर गौरी महेश चंद्र कलाधर हे परमेश

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शंकर साम्ब शिव हर हर शंकर साम्ब शिव जय जय शंकर 
गंगा जटाधर गौरी महेश चंद्र कलाधर हे परमेश
कैलासवास काशी पते करुणा सागर गौरी पते

गंगा जटाधर गौरी शंकर गिरिजा मनरमण
जय मृत्युंजय महादेव महेश्वर मनग शुभ चरण
नंदी वाहन नाग भूषण निरुपम गुणसदन
नटनमनोहर नील कण्ठ हर नीरजदल नयन

ॐ शिव ॐ शिव परात्पर शिव ओंकार शिव तव शरणं
नमामि शंकर भजामि शंकर उमामहेश्वर तव शरणं 
गौरी शंकर शम्भो शंकर साम्ब सदाशिव तव शरणं

शिव शंकर पार्वती रमण गंगाधर भुवन धारण
शरणागत वंदित शरण करुणाकर भवभय हरण

नन्दीश्वर हे नटराज नंदात्मज हरि नारायण
नागभरण नमः शिवाय नादस्वरूप नमो नमो
शम्भो महादेव मल्लिकार्जुन मंगल चरण त्रिलोचन
शुभ मंगल चरण त्रिलोचन पिनाकधारी पार्वतीरमण
भवभय हरण सनातन पार्वतीरमण पतितपावन

शिव शम्भो शम्भो शिव शम्भो महादेव
हर हर महादेव शिव शम्भो महादेव
हल हल धर शम्भो अनाथ नाथ शम्भो
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ नमः शिवाय

गंगाधर शिव गौरी शिव शम्भो शंकर साम्ब शिव 
जय जगदीश्वर जय परमेश्वर हे जगदीश जगदीश्वर
विश्वाधार विश्वेश्वर शम्भो शंकर साम्ब शिव

मेरा भोला सब भक्तों के है सारे कष्ट मिटाता

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मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम
तेरी डम -डम में गूंजेंगी मेरे भोले की बम-बम
मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम

मेरा भोला सब भक्तों के है सारे कष्ट मिटाता
वो भक्तों की रक्षा हित है कालकूट पी जाता
मेरी जिह्वा करती चल तू शिव महिमा का ही वर्णन मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम

 मेरा भोला कितना भोला नागों का हार पहनता
वो जटाजूट में अपने गंगा को धारण करता
मैं कण -कण में करती हूँ शिव-शंकर का ही दर्शन .मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम

सावन में कांवड़ लेकर जो गंगाजल लेने जाते
लाकर शिवलिंग पर उसको श्रृद्धा सहित चढाते
हर इच्छा पूरी होती पावन हो जाता जीवन .मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम

 द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शिव -शक्ति ज्योत समाई ;
इनके दर्शन से भक्तों ने भय से मुक्ति पाई ;
गौरी-शंकर के चरणों में तन -मन-धन सब अर्पण मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम


तेरे नाम की मैं जपूं रोज माला ।

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तेरे नाम की मैं जपूं रोज माला ।
अब तो मनो कामना है यह मेरी,
जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥

कहीं और क्यूँ ढूँढने तुझ को जाऊं,
प्रभु मन के भीतर ही मैं तुझ को पाऊं ।
यह मन का शिवाला हो सब से निराला,
जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥

भक्ति पे है अपनी विशवास मुझ को,
बनाएगा चरणों का तू दास मुझ को ।
मैं तुझ से जुदा अब नहीं रहने वाला,
जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥

तू दर्पण सा उजला मेरे मन को करदे,
तू अपना उजाला मेरे मन में भरदे ।
हैं चारो दिशाओं में तेरा उजाला,
जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥

शिवाष्टक आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित

http://jaidevmahadev.wordpress.com/contact-us/प्रस्तुत शिवाष्टक आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित है। आठ पदों में विभक्त यह रचना परंब्रह्म शिव की पुजा एक उत्तम साधन है ।

तस्मै नम: परमकारणकारणाय , दिप्तोज्ज्वलज्ज्वलित पिङ्गललोचनाय ।
नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय , ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नम: शिवाय ॥ 1 ॥
जो (शिव) कारणों के भी परम कारण हैं, ( अग्निशिखा के समान) अति दिप्यमान उज्ज्वल एवं पिङ्गल नेत्रोंवाले हैं, सर्पों के हार-कुण्डल आदि से भूषित हैं तथा ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्रादि को भी वर देने वालें हैं – उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

श्रीमत्प्रसन्नशशिपन्नगभूषणाय , शैलेन्द्रजावदनचुम्बितलोचनाय ।
कैलासमन्दरमहेन्द्रनिकेतनाय , लोकत्रयार्तिहरणाय नम: शिवाय ॥ 2 ॥
जो निर्मल चन्द्र कला तथा सर्पों द्वारा ही भुषित एवं शोभायमान हैं, गिरिराजग्गुमारी अपने मुख से जिनके लोचनों का चुम्बन करती हैं, कैलास एवं महेन्द्रगिरि जिनके निवासस्थान हैं तथा जो त्रिलोकी के दु:ख को दूर करनेवाले हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय , कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय ।
भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय , नीलाब्जकण्ठसदृशाय नम: शिवाय ॥ 3 ॥
जो स्वच्छ पद्मरागमणि के कुण्डलों से किरणों की वर्षा करने वाले हैं, अगरू तथा चन्दन से चर्चित तथा भस्म, प्रफुल्लित कमल और जूही से सुशोभित हैं ऐसे नीलकमलसदृश कण्ठवाले शिव को नमस्कार है ।

लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय , दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय ।
व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय , त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ॥ 4 ॥
जो लटकती हुई पिङ्गवर्ण जटाओंके सहित मुकुट धारण करने से जो उत्कट जान पड़ते हैं तीक्ष्ण दाढ़ों के कारण जो अति विकट और भयानक प्रतीत होते हैं, साथ ही व्याघ्रचर्म धारण किए हुए हैं तथा अति मनोहर हैं, तथा तीनों लोकों के अधिश्वर भी जिनके चरणों में झुकते हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

दक्षप्रजापतिमहाखनाशनाय , क्षिप्रं महात्रिपुरदानवघातनाय ।
ब्रह्मोर्जितोर्ध्वगक्रोटिनिकृंतनाय , योगाय योगनमिताय नम: शिवाय ॥ 5 ॥
जो दक्षप्रजापति के महायज्ञ को ध्वंस करने वाले हैं, जिन्होने परंविकट त्रिपुरासुर का तत्कल अन्त कर दिया था तथा जिन्होंने दर्पयुक्त ब्रह्मा के ऊर्ध्वमुख (पञ्च्म शिर) को काट दिया था, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

संसारसृष्टिघटनापरिवर्तनाय , रक्ष: पिशाचगणसिद्धसमाकुलाय ।
सिद्धोरगग्रहगणेन्द्रनिषेविताय , शार्दूलचर्मवसनाय नम: शिवाय ॥ 6 ॥
जो संसार मे घटित होने वाले सम्सत घटनाओं में परिवर्तन करने में सक्षम हैं, जो राक्षस, पिशाच से ले कर सिद्धगणों द्वरा घिरे रहते हैं (जिनके बुरे एवं अच्छे सभि अनुयायी हैं); सिद्ध, सर्प, ग्रह-गण एवं इन्द्रादिसे सेवित हैं तथा जो बाघम्बर धारण किये हुए हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

भस्माङ्गरागकृतरूपमनोहराय , सौम्यावदातवनमाश्रितमाश्रिताय ।
गौरीकटाक्षनयनार्धनिरीक्षणाय , गोक्षीरधारधवलाय नम: शिवाय ॥ 7 ॥
जिन्होंने भस्म लेप द्वरा सृंगार किया हुआ है, जो अति शांत एवं सुन्दर वन का आश्रय करने वालों (ऋषि, भक्तगण) के आश्रित (वश में) हैं, जिनका श्री पार्वतीजी कटाक्ष नेत्रों द्वरा निरिक्षण करती हैं, तथा जिनका गोदुग्ध की धारा के समान श्वेत वर्ण है, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय , यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय ।
ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय , गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय ॥ 8 ॥
जो सूर्य, चन्द्र, वरूण और पवन द्वार सेवित हैं, यज्ञ एवं अग्निहोत्र धूममें जिनका निवास है, ऋक-सामादि, वेद तथा मुनिजन जिनकी स्तुति करते हैं, उन नन्दीश्वरपूजित गौओं का पालन करने वाले शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

श्री शिव अष्टकम

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श्री शिव अष्टकम

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।
भवद्भव्य भूतॆश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 1 ॥

गलॆ रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणॆशादि पालम् ।
जटाजूट गङ्गॊत्तरङ्गै र्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 2॥

मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् ।
अनादिं ह्यपारं महा मॊहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 3 ॥

वटाधॊ निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।
गिरीशं गणॆशं सुरॆशं महॆशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 4 ॥

गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदॆहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गॆहम् ।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 5 ॥

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भॊज नम्राय कामं ददानम् ।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 6 ॥

शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनॆत्रं पवित्रं धनॆशस्य मित्रम् ।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 7 ॥

हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वॆदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशानॆ वसन्तं मनॊजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 8 ॥

स्वयं यः प्रभातॆ नरश्शूल पाणॆ पठॆत् स्तॊत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् ।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मॊक्षं प्रयाति ॥

सिर गंग भव्य भुजंग भूसन भस्म अंग सुसोभिते

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जय जयति जगदाधार जगपति जय महेश नमामिते
वाहन वृषभ वर सिद्धि दायक विश्वनाथ उमापते
सिर गंग भव्य भुजंग भूसन भस्म अंग सुसोभिते
सुर जपति शिव, शशि धर कपाली, भूत पति शरणागते

जय जयति गौरीनाथ जय काशीश जय कामेश्वरम
कैलाशपति, जोगीश, जय भोगीश, वपु गोपेश्वरम
जय नील लोहित गरल-गर-हर-हर विभो विश्वंभरम
रस रास रति रमणीय रंजित नवल नृत्यति नटवरम

तत्तत्त ताता ता तताता थे इ तत्ता ताण्डवम
कर बजत डमरू डिमक-डिम-डिम गूंज मृदु गुंजित भवम
बम-बम बदत वेताल भूत पिशाच भूधर भैरवम
जय जयति खेचर यक्ष किन्नर नित्य नव गुण गौरवम

जय प्रणति जन पूरण मनोरथ करत मन महि रंजने
अघ मूरि हारी धूरि जटि तुम त्रिपुर अरि-दल गंजने
जय शूल पाणि पिनाक धर कंदर्प दर्प विमोचने
'प्रीतम' परसि पद होइ पावन हरहु कष्ट त्रिलोचने

कृपानाथ वे शक मिलेंगे किसी दिन

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भजन भोले शंकर का करते रहोगे 
तो संसार सागर से तरते रहोगे 

कृपानाथ वे शक मिलेंगे किसी दिन 
जो सत्संग पथ से गुजरते रहोगे 
तो संसार सागर से तरते रहोगे 

चढोगे ह्रदय पर सभी के सदा तुम 
जो अभिमान गिरी से उतरते रहोगे 
तो संसार सागर से तरते रहोगे 

न होगा कभी क्लेश मन को तुम्हारे 
जो अपनी बड़ाई से डरते रहोगे 
तो संसार सागर से तरते रहोगे 

छलक ही पड़ेगा दया सिन्धु का दिल 
जो दृग बिंदु से रोज भरते रहोगे 
तो संसार सागर से तरते रहोगे

आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी।

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सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव! सबके स्वामी।
अविकारी, अविनाशी, अज, अन्तर्यामी ॥1॥ हर हर.॥

आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी।
अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी ॥2॥ हर हर.॥

ब्रह्मा, विष्णु महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी।
कर्ता, भर्ता, धर्ता तुम ही संहारी ॥3॥ हर हर.॥

रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय, औढरदानी।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता, अभिमानी ॥4॥ हर हर.॥

मणिमय-भवन निवासी, अति भोगी, रागी.
सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी ॥5॥ हर हर.॥

छाल-कपाल,गरल-गल, मुण्डमाल,व्याली।
चिताभस्मतन, त्रिनयन, अयनमहाकाली ॥6॥ हर हर.॥

प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीतजटाधारी।
विवसन विकट रूपधर रुद्र प्रलयकारी ॥7॥ हर हर.॥

शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।
अतिकमनीय, शांतिकर, शिवमुनि-मन-हारी ॥8॥ हर हर.॥

निर्गुण, सगुण, निरंजन, जगमय, नित्य-प्रभो।
कालरूप केवल हर! कालातीत विभो ॥9॥ हर हर.॥

सत्‌, चित्‌, आनंद, रसमय, करुणामय धाता।
प्रेम-सुधा-निधि, प्रियतम, अखिल विश्वत्राता ॥10॥ हर हर.॥

हम अतिदीन, दयामय! चरण-शरण दीजै।
सब बिधि निर्मल मति कर अपना कर लीजै ॥11॥ हर हर.॥

जय जयति गौरीनाथ जय काशीश जय कामेश्वरम

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जय जयति जगदाधार जगपति जय महेश नमामिते
वाहन वृषभ वर सिद्धि दायक विश्वनाथ उमापते
सिर गंग भव्य भुजंग भूसन भस्म अंग सुसोभिते
सुर जपति शिव, शशि धर कपाली, भूत पति शरणागते

जय जयति गौरीनाथ जय काशीश जय कामेश्वरम
कैलाशपति, जोगीश, जय भोगीश, वपु गोपेश्वरम
जय नील लोहित गरल-गर-हर-हर विभो विश्वंभरम
रस रास रति रमणीय रंजित नवल नृत्यति नटवरम

तत्तत्त ताता ता तताता थे इ तत्ता ताण्डवम
कर बजत डमरू डिमक-डिम-डिम गूंज मृदु गुंजित भवम
बम-बम बदत वेताल भूत पिशाच भूधर भैरवम
जय जयति खेचर यक्ष किन्नर नित्य नव गुण गौरवम

जय प्रणति जन पूरण मनोरथ करत मन महि रंजने
अघ मूरि हारी धूरि जटि तुम त्रिपुर अरि-दल गंजने
जय शूल पाणि पिनाक धर कंदर्प दर्प विमोचने
'प्रीतम' परसि पद होइ पावन हरहु कष्ट त्रिलोचने

तीन लोक बस्ती में बसाये आप बसे वीराने में |

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धन धन भोलेनाथ तुम्हारे कौड़ी नहीं खजाने में,
तीन लोक बस्ती में बसाये आप बसे वीराने में |

जटा जूट के मुकुट शीश पर गले में मुंडन की माला,
माथे पर छोटा चन्द्रमा कृपाल में करके व्याला |

जिसे देखकर भय ब्यापे सो गले बीच लपटे काला,
और तीसरे नेत्र में तेरे महा प्रलय की है ज्वाला |

पीने को हर भंग रंग है आक धतुरा खाने का,
तीन लोक बस्ती में बसाये आप बसे वीराने में |

नाम तुम्हारा है अनेक पर सबसे उत्तत है गंगा,
वाही ते शोभा पाई है विरासत सिर पर गंगा |

भूत बोतल संग में सोहे यह लश्कर है अति चंगा,
तीन लोक के दाता बनकर आप बने क्यों भिखमंगा |

अलख मुझे बतलाओ क्या मिलता है अलख जगाने में,
ये तो सगुण स्वरूप है निर्गुन में निर्गुन हो जाये |

पल में प्रलय करो रचना क्षण में नहीं कुछ पुण्य आपाये,
चमड़ा शेर का वस्त्र पुराने बूढ़ा बैल सवारी को |

जिस पर तुम्हारी सेवा करती, धन धन शैल कुमारी को,
क्या जान क्या देखा इसने नाथ तेरी सरदारी को |
सुन तुम्हारी ब्याह की लीला भिखमंगे के गाने में,
तीन लोक बस्ती में बसाये आप बसे वीराने में |

किसी का सुमिरन ध्यान नहीं तुम अपने ही करते हो जाप,
अपने बीच में आप समाये आप ही आप रहे हो व्याप |
हुआ मेरा मन मग्न ओ बिगड़ी ऐसे नाथ बचाने में,
तीन लोक बस्ती में बसाये आप बसे वीराने में |

कुबेर को धन दिया आपने, दिया इन्द्र को इन्द्रासन,
अपने तन पर ख़ाक रमाये पहने नागों का भूषण |
मुक्ति के दाता होकर मुक्ति तुम्हारे गाहे चरण,
"भक्त ये नाथ तुम्हारे हित से नित से करो भजन |
तीन लोक बस्ती में बसाये आप बसे वीराने में |

उनकी शरण में जा के मनवा, पाता है विश्राम ॥

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मंगलकारी शिव का नाम ।
चरण हैं शिव के सुख का धाम ॥

पात पात में वो घाट में, फैली उनकी माया ।
जिस के मन में वो बस जाए, मंदिर बनती काया ।
जिस पर शिव जी कृपा करते, बनते काम तमाम ॥

वो ही जगत का करता धर्ता, वो ही जग के सवामी ।
भक्त जनों के मन की जाने, वो ही अन्तर्यामी ।
उनकी शरण में जा के मनवा, पाता है विश्राम ॥

तेरा दर छोड़ के कहदे दर जावां,

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दर दा भिखारी शम्बू, मैनू ठुकरावीं ना ।
जग ने रुलाया शम्बू, तू वी रुलावी ना ॥

चाँद ते सितारे तेरी आरती उतारदे,
गांदे ने गीत भोले नित्त तेरे प्यार दे ।
दासां तो उदास होके, दर तों उठावी ना,
जग ने रुलाया शम्बू, तू वि रुलावी ना ॥

धी पुत्त सो सो गलतीयां करदे,
माँ बाप ज़रा वी ना वलवला करदे ।
गलतियाँ मेरिया नु, दिल ते लावी ना,
जग ने रुलाया शम्बू, तू वि रुलावी ना ॥

तेरा दर छोड़ के कहदे दर जावां,
जग है पराया, किसे अपना बनावा ।
सारे दर के छोड़ के मैं तेरा दर मलेआ,
जग ने रुलाया शम्बू, तू वि रुलावी ना ॥

तेरी रचना है न्यारी, तू ही जाने त्रिपुरारी

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ॐ नमः शिवाय भोलेनाथ, भोलेनाथ
तेरी रचना है न्यारी, तू ही जाने त्रिपुरारी
साजी तूने रंगीली क़ायनात
भोलेनाथ, भोलेनाथ
सृष्टि बनाने वाला तू
हर मन को भाने वाला तू
साजे माथे पे चंदा, और जटाओं पे गंगा
रूप सुंदर, निराली सब से बात
भोलेनाथ, भोलेनाथ
काल महाकाल गंगाधर
शेषनागधारी ईश्वर
तुम्हें दिल में बसा कर
तेरे चरणों में आकर
यूं ही बना रहे साथ
भोलेनाथ, भोलेनाथ
चिंतन करूं मैं हर क्षण
तेरा ही पाऊं दरश्न
और चाहत ना कोय
ध्यान सिमरूं मैं तोहे
जीवन ये मांगे ख़ैरात
भोलेनाथ, भोलेनाथ

वरपा नियत ढीगी निशचर की शंकर को मारे चाहा

कैलाशी काशी के वासी, सुनते नाथ सबकी करुणा
मन की दुविधा दूर करो, बम भोले नाथ का लो शरणा ।।टेर ।।
एक समय देव दानवों ने मिलकर, क्षीर सिन्धु का मथन किया
रतन जो चौदह निकले उसमें, एक एक कर बॉंट लिया
अमृत धारण कियो देवता, जहर हलाहल शम्भु पिया
नीलकण्ठ तब नाम पड़ा, ओ कैलाशपुरी में वास किया
ऐसे भोले भण्डारी शिव का, ध्यान निरंतर सब धरणा ।। मन की ।।

कठिन तपस्या करी भस्मासुर, बारह मास लग्यो तपना
अंग अंग सब जार दियो, तब कैलाश छोड़ दिये दर्शना
मांगना है सो मांग भक्त तू, तोपर हूँ मैं बहुत प्रसन्न
देऊ राज तोहे तीन लोक का, रहे देवता तेरी शरण
वर दो नाथ हाथ धरूँ जिस पर होए तुरन्त उसका मरणा ।। मन की ।।

वरपा नियत ढीगी निशचर की शंकर को मारे चाहा
आगे आगे चले विश्म्भर वैकुण्ठ द्वार का लिया सहारा
खगपती चौकी देख शम्भु की उतर गयी तन कोपीनवार
देख दिगम्बर रूप शम्भु का लक्ष्मीजी दीना पट डार
ब्रह्मा विष्णु महेश एक है, इनमें अन्तर नहीं करना ।। मन की ।।

देखी ऐसी हालत शम्भु की, तुरन्त मोहिनी रूप धरे
जीत लिया निश्चर के मन को, तब यूं बोले वचन खरे
आक धतूरा पिने वाले का, क्या इसका एतबार करे
अपने सिर पर हाथ धरो तो, सांच झूठ की ठाह पड़े
मन निश्चय कियो निशाचर, देखा निश्चर का मरणा ।। मन की ।।

रतन जठित कैलाश शम्भु का मणि कपाट द्वार सजा
आक धतूरा तोता मैना, सब पंछी रहते ताजा
वाहन जिनका है नांदिया, सब देवन के हैं राजा
कामधेनु ओ कल्पवृक्ष नित ढमरू के बाजे बाजा
शिवलाल पसारी दास तुम्हारा प्रभु के चरण में चित धरणा ।। मन की ।।


भूखे को है भोजन देते और प्यासे को पानी ||


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बाबा अमरनाथ बर्फानी, योगिराज दया के दानी |
भूखे को है भोजन देते और प्यासे को पानी ||
बाबा अमरनाथ की जय, बोलो शिव शंकर की जय ||

भक्तो के मन बसने वाले ये तो सब के स्वामी है |
मन चाहा फल देने वाले शंभू अंतरयामी है |
महादेव के दर्शन कर के, संवर जाये जिंदगानी ||

दया धरम के है यह दाता सारा ही संसार कहे |
जिधर दया की दृष्टि उधर कमी न कोई रहे |
हाथ है इसके लाज हमारी, यश लाभ और हानि ||

प्रभु नाम के हीरे मोती हर पल सदा लुटाते हैं |
अपने संतो भक्तो के संकट यह आप मिटाते हैं |
भोले नाथ की शक्ति है जी, जाने दुनिया फानी ||

बालपना हंस खेल गंवाया चकरी भॅंवरा खूब चलाया,

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सदाशिव शरणा तेरा सब अपराध क्षमा कर मेरा ।।
लख चौरासी भटकत घाया गर्भवास में अति दुख पाया.
जब ईश्वर से अरज सुनाया, कोल वचन गया भूल मोह माया ने घेरा रे ।। सदाशिव ।।

बालपना हंस खेल गंवाया चकरी भॅंवरा खूब चलाया,
शिव सुमरण मन में नहीं लाया, छाय रहा अ्रान ध्यान हिरदे नहीं ठेरा रे ।।सदाशिव।।

करुण हुआ तन यौवन छाया निशि दिन ऐस आराम जमाया,
तिरिया तीरथ कर सुख पाया, होय रयाअंधा धुंध छाय रया घोर अंधेरा रे ।। सदाशिव ।।

वृद्धावस्था ऐसी आई ताकत रही नहीं तन माई,
सुध बुध शक्ति सभी बिसराई, मान नहीं मर्याद हुआ एकान्त में डेरा रे ।। सदाशिव ।।

तीन अवस्था मुफत गवांई नेमधरम कुछ कीना नांई,
जन्म बीत गया बातां मांई, लाख गुनाह कर माफ पुरबला पाप समेरा रे ।। सदाशिव ।।

पाप पुण्य परगट जुगमांई अज्ञानी नर समझे नाहीं,
माफ करो शंकर सुखदाई, हंसराज रख लाज पारकर बेड़ा मेरा रे ।। सदाशिव ।।

देवन में महादेव बड़ा है,

http://jaidevmahadev.wordpress.com/contact-us/प्यारा लागे भोलानाथ मोरी मैया मोय प्यारा लागे ।।
देवन में महादेव बड़ा है,
सब जुग जश विख्यात मेरी मैया ।। प्यारा लागे।।

भेष अनेक करे भोलाशंभु,
माया है उनके हाथ मोरी मैया ।। प्यारा लागे।।

जन्म जन्म के वो पती हमारे,
मैं हूँ उनके साथ मोरी मैया ।। प्यारा लागे।।

नंदीगण असवारी है शिव के,
भूत प्रेत रहे साथ मोरी मैया ।। प्यारा लागे।।

आदि पुरुष अविनाशी है शिवजी,
तीन लोक के नाथ मोरी मैया ।। प्यारा लागे।।

सुरनर मुनिजन सब गुण गावे,
वेद शास्त्र विख्यात मोरी मैया ।। प्यारा लागे।।

हंसराज हर हर गुण गावे,
भव सागर तिर जात मोरी मैया ।। प्यारा लागे।।

भजन कर भोले नाथ का

http://jaidevmahadev.wordpress.com/contact-us/भोले भंडारी, नाथ प्रभु त्रिपुरारी बेड़ा करेंगे तेरा पार
भजन कर भोले नाथ का
भोले भंडारी, नाथ प्रभु त्रिपुरारी बेड़ा करेंगे तेरा पार

शिव शंकर भोले भले, तेरे बिगड़े काज संभाले
शिव शंकर भोले भले, तेरे बिगड़े काज संभाले
खोले क़िस्मत के ताले, तेरी हर विपदा को टाले
दुनिया में दाता नहीं, कोई नहीं, मेरे भोलेनाथ-सा
भोले भंडारी, नाथ प्रभु त्रिपुरारी बेड़ा करेंगे तेरा पार
भोले भंडारी, नाथ प्रभु त्रिपुरारी बेड़ा करेंगे तेरा पार

भोले बाबा भंडारी, भंडार भरेंगे तेरे
भोले बाबा भंडारी, भंडार भरेंगे तेरे
शंकर शम्भू त्रिपुरारी, दुःख दूर करेंगे तेरे
अरे उनसे ना कुछ भी छिपा, सब है पता
तेरे मन की बात का
के भोले भंडारी, नाथ प्रभु त्रिपुरारी बेड़ा करेंगे तेरा पार

मेरे बाबा डमरू-वाले इस जग बगिया के माली
मेरे बाबा डमरू-वाले इस जग बगिया के माली
उनके हर खेल निराले, है लीला अजब निराली
पाया है, कोई पार ना, कोई यहाँ, मेरे भोलेनाथ का
भोले भंडारी, नाथ प्रभु त्रिपुरारी बेड़ा करेंगे तेरा पार

 के भोले भंडारी, नाथ प्रभु त्रिपुरारी बेड़ा करेंगे तेरा पार

कट जाए तेरे फेरे, जो जयशिव-जयशिव बोले
कट जाए तेरे फेरे, जो जयशिव-जयशिव बोले
हो जाएँ दूर अँधेरे, जो मन की आँखे खोले
अरे करता जा नादान तू, गुणगान तू
शिव भोलेनाथ का के भोले भंडारी,
नाथ प्रभु त्रिपुरारी बेड़ा करेंगे-बेड़ा करेंगे तेरा पार

भक्ति के हंसा ही चुगे मोंती यह अनमोल

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कल्पतरु पुण्यात्मा प्रेम सुधा शिव नाम 
हितकारक संजीवनी शिव चिंतन अविराम 
पतित पावन जैसे मधु शिव रस नाके घोल 
भक्ति के हंसा ही चुगे मोंती यह अनमोल 
जैसे तनिक सुहागा सोने को चमकाए 
शिव सुमिरंसे आत्मा अदबुदथ निखरी जाये 
जैसे चन्दन वृष को दंसते नहीं है नाग 
शिव भक्तो के चोले को कभी लगे ना दाग 
ॐ नम शिवाय (2)

दया निधि भूतेश्वर शिव है चतुर सुजन 
कण कण भीतर है बसे नीलकंठ भगवान् 
चंद्रचूड के नेत्र उमापति विश्वेश 
शर्नागैत के यह सदा पके सकल अनेक 
शिव द्वारे प्रपंच का छल नहीं सकता खेल 
आग और पानी का जैसे होता नहीं है मेल 
भयाभंजना नटराज है डमरू वाले नाथ 
शिव ka वंदन जो करे शिव है उनके साथ 
ॐ नम शिवाय (2)

लाखो अश्वादमेध हो सो गंगा अस्नान 
इनसे उत्तम है कही शिव चरणों का ध्यान 
अलख निरंजन नाथसे उपजे आत्मा ग्यान 
भटके को रास्ता मिले मुशकिl हो आसान 
अमर गुणों की खान है चित शुधि शिव ध्यान 
सत संगती में बैठके करलो प्रस्च्याताप 
लिंगेश्वर के मननसे सिद्ध हो जाते काज 
नमो शिवाय रटता जा शिव रखेंगे लाज 
ॐ नम शिवाय (2)