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| तेरे नाम की मैं जपूं रोज माला । |
| अब तो मनो कामना है यह मेरी, |
| जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥ |
| कहीं और क्यूँ ढूँढने तुझ को जाऊं, |
| प्रभु मन के भीतर ही मैं तुझ को पाऊं । |
| यह मन का शिवाला हो सब से निराला, |
| जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥ |
| भक्ति पे है अपनी विशवास मुझ को, |
| बनाएगा चरणों का तू दास मुझ को । |
| मैं तुझ से जुदा अब नहीं रहने वाला, |
| जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥ |
| तू दर्पण सा उजला मेरे मन को करदे, |
| तू अपना उजाला मेरे मन में भरदे । |
| हैं चारो दिशाओं में तेरा उजाला, |
| जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥ |

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